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Noted Nest

किताबें और भूख

By Pankaj Pahwa



किताबें हैं नहीं उसपे मगर वो स्कूल आता है,

है पढ़ता कौन सी कक्षा में अक्सर भूल जाता है,

ना ही खाने को है घर में ना ही वो खा के आता है,

यहां खाना मिले दिन में तभी तो स्कूल आता है,


के उस जैसा यहां वो एक ही हो तो मैं चुप रहता,

लगाता शब्दों पे चुप्पी नहीं मै तुमसे कुछ कहता,

भरा पूरा है जो कस्बा वहां से हैं ये सब बच्चे,

भटकते पांव खाली पेट समझ में क्या है कुछ रहता,


अभी बस दो ही दिन पहले सुना था एक बच्चे को,

क्या बीते भूख से उसपे सुना था उस दिल सच्चे को,

कभी चावल कभी रोटी कभी खिचड़ी मिले है जब,

बताता लाखों में था एक वो अपने स्कूल कच्चे को,


ना जाने क्यूं नहीं भगवान आ के देखता ये सब,

बनाया है जो इतना फर्क ना जाने खतम होगा कब,

यहां इक ओर जो देखूं नहीं है कुछ भी थाली में,

यहीं ऐसे भी हैं हम लोग जो फेंके खाना नाली में,


किताबें हैं नहीं उसपे मगर वो स्कूल आता है,

है पढ़ता कौन सी कक्षा में अक्सर भूल जाता है,


By Pankaj Pahwa



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