By Aarvi Tulsani
ये इंसान तो छोड़ो,
प्यार बी बदलता जा रहा है,
ढलता जा रहा है।
आज कल का प्रेम वो नहीं
जहां दोनों प्रेमी साथ में बैठकर बातें कर ले,
वो नी,
जहां साथ में दो प्रेम के गीत गा ले।
वो नहीं जहां आँखो में आँखे डाल,
अपने प्रेमी का सच्चा प्यार महसूस करे।
वो नहीं,
जहां एक दूसरे को प्यार भरी चिट्ठियां लिखे।
आज कल तो मेहेंगे तोहफों का ज़माना है,
सच्चे प्यार का नहीं,
जूठे पैसो का दिखावा है।
अगर किसी लड़की को गुलाब दे दो,
तो वो अब अपनी किताबों में संभलकर नहीं रखती।
ख्वाबो में आने वाला प्रेमी,
जिसका चेहरा हमें आखे बंद कर बी साफ दिखाई दे,
उसको याद करने के लिए भी,
अब तसवीरों का सहारा लेना पढ़ता है।
कहीं कोई दूसरा मिल गया
तो जैसे सब कुछ भूल जाते है।
प्यार, प्यार तो नहीं रहा,
बस एक खेल बन गया है।
कोई कीमत ही नहीं रही अब सच्चे प्यार की,
इस मोह की दुनिया में।
हम सब एक दूसरे के शरीर में प्यार ढूंढते हैं,
जब की सच्चा प्यार तो दिल में दिखता है,
पर शायद अब इस दुनिया में दिल में बी ना दिखे...
By Aarvi Tulsani
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