By Udai Prakash
भूमिका
मेरा मानना है कि महाभारत नहीं होता यदि कर्ण का जन्म कुंती के परि पक्व होनेपर हुआ होता | क्यों कि दुर्योधन
यदि कि सी योद्धा पर वि श्वाश था तो वह कर्ण था |पुन: यदि पृथा परिपक्व होती तो कर्ण को नहीं त्यागती और वह
कौरव सेना का योद्धा नहीं होता और दुर्योधन के बिना कर्ण के शायद युद्ध करने का साहस नहीं करता |
सूर्य थोड़ी देर करना
कर्ण के अवतरण में|
पृथा सुंदर आदि चंचल
मंत्र तो है बस खिलौना
उसके लिए |
मंत्र से अठखेलियाँ
का परिणाम नहीं
वह जानती है|
तमु मनस्वी दिव्य ज्ञानी
मंत्र का आधार लेकर
न अभी यह भुल करना |
कर्ण के अवतरण में
अभी थोड़ी देर करना |
सूर्य तुम प्रखर हो परम हो
ज्ञानियों का ज्ञान तुम से प्रकाशित
मंत्र मायाजाल से तुम मुक्त हो लो |
तरुणी के कौतुहल को
जननी का वरदान न दो |
कर्ण सद्यः तुम ही होगे
इस काल का भाग्य रचना
तुम करोगे |
मंत्र के प्रभाव से विचलित न होना
कर्ण के प्रागट्य को कुछ समय देना
पर सनातन सूर्य तो
मंत्र से बंधा था
कपट मंत्र दुर्वासा का बली था |
काल के दुष्चक्र को समझ कर भी
कौतुहलित कुंती को
कर्ण की जननी बनाकर
मंत्र कि शक्ति को प्रमाणित कर गया |
सूर्य का यह असमय वरदान हीं
शायद
महाभारत का कारण बना ||
By Udai Prakash
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