By Sakshi J Shinde
अगर मैं कहु रोज़ कि ज़िंदगी जीना
वही पुराणी भाग दौड़
सब एक बीमारी की तरह है
और तेरी आवाज़ एक दवाई
तोह इस सच को तुम आगे सुनोगे
या चले जाओगे साथ लेके अपनी परछाई
मैं नहीं जानती कौन था क्या था
तेरे आने से पहले
बैठकर वो समय याद करना बेफिज़ूल है
खैर तेरी मेरी बातें दोहराना कोई ढंग का काम तोह नहीं
पर उन वार्तालाप में डूब जाना कुबूल है
वो बातें जिन में कई राज़ छिपे है
कभी तुमसे झूट न बोला
इस बात का गुरूर भी
एक सच और सुनोगे तुम
जहा हु आज, तुमने लाके छोड़ा है
में तोह खुशियों से बोहोत बोहोत दूर थी
जीना सीखा गए तुम
किसी के बारे में बुरा न बोलने दिया
खुद पे ऊँगली उठाई मैंने
मुझको अपनी नाकामियों से न तोलने दिया
दोस्त बनकर आये थे
मुझे मानवता का पाठ पढ़ा गए
हर बार हर पेहेर तुम ऊँची सीढिया चढ़ा गए
कहा "उम्मीद करना गलत नहीं
किस बात की उम्मीद हो बस ये समझो"
तुम्हारी सारी बातों को जीवन की नीव बना लिया था मैंने
जैसे सब कुछ आज ही समझना हो, कहते है न कल हो न हो
मेरा हाथ नहीं थामा पर तुमने
पता नहीं जीवनसाथी की बात करते ही मौन हो गए
कोई वादा तोह नहीं किया था तुमने
पर तुम्हारे संग मेरे सारे दुःख मानो सो गए
एक सच सुनने के लिए रुक जाओ ना
तुम्हे कुछ कहने की जरूरत नहीं, घबराओ ना
तुम्हे पसंद ना करने के लिए कोई कारण हो
मुझे कभी गुस्सा तोह दिलाओ ना
न कोई कभी तुम पर गुस्सा हो सका
न तुम कभी किसी पर क्रोधित हुए
बोहोत दुख है तुम्हारे जाने का
पर ये सफर मैं कभी न भूल पाऊँगी
सोचती हु किसी और को तुम्हारी ज़्यादा जरूरत रही होगी
सच यही है की
तुम्हे में हमेशा हमेशा चाहूँगी
अगर कोई चीज़ सताए तुम्हे
मैं भागी चली आउंगी
तुम पे कोई आंच न आने दू
मैं किसी भी हद तक जाऊंगी
मुझमे तुम्हे दोस्त दिखाई देता है या अंजान शक्स, नहीं पता
तुम में तोह मुझे अपना भगवन दिखाई देता है
और ईश्वर से कैसी खता
By Sakshi J Shinde
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