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एक रोज शाम जरा बैठो हमारे करीब

By TanuShree Patwa


एक रोज शाम जरा बैठो हमारे करीब, 

तुम्हे अपना दिल ए इजहार बताऊंगा, 

वादा करता हु की हमारे बीच नजदीकियां नही बढ़ाऊँगा, 

अगर भरोसे से हाथ पकड़ना भी तुम्हे उलझन मे डाल दे, 

तो एक बार कहना अपना हाथ सजदो के लिए भी नही उठाऊँगा, 

तुम ना कहो तो अपनी पलके भी नही उठाऊँगा, 

मेरी मौजूदगी अगर फिर भी दखल दे तुम्हे, 

भरोसा रखना दूर से तुम्हारा दीदार कर लिया करूँगा, 

बताऊंगा जब हाल ए दिल अपना, 

कोई जोर ए जबरदस्ती नही करूँगा, 

जवाब चाहे जो हो तुम्हारा, सर आँखों पर सजा कर रखूँगा, 

इतना इन्तेला कर दु तुम्हे,तेरी रज़ा के बिना एक कदम तक न बढ़ाऊँगा, 

तु हाँ कहे तो तेरे कदमो को चूम लूँगा, 

पर रजा से ना कहे तो तेरे कदमों से पीछे छूटी जमीन को अपना घर मान लूँगा, 

तेरे दीदार जमीर को अपना खुदा मान लूँगा, 

एक रोज शाम जरा बैठो हमारे करीब, 

अपने हर एहसास से तुम्हे रूबरू करवाउंगा। 


By TanuShree Patwa

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