By Sejal Jain
आपने थालियाँ तो बजाई, लेकिन क्या आपने कभी वो एहसास समझा,
आपने हमारे ऊपर पत्थर भी फेके लेकिन हम तब भी सभ सहते रहे ,
क्या हमने इतनी मेहनत इसी लिए की थी ,
क्या यही वो दिन था, जिस दिन के लिए हम इतनी मेहनत करके इस जगह आए |
18 साल की थी मैं जब मेरे पापा मुझे छोड़के जा चुके थे ,
तब ही मैंने जान लिया था आज के बाद किसी के परिवार में ऐसा दुख ना आने दूँ ये पूरी कोशिश रहेगी मेरी ,
वहाँ मेरे दोस्त घूमते, पार्टी करते पर यहाँ मैं हमेशा पड़ती रहती थी |
उस दर्द से ऊपर आने की लाख कोशिश करी थी मैंने, पर शायद आज तक उनकी कमी सताती है मुझे |
शायद उनके और अपने घाव भरने के लिए मैंने ये राह चुनी थी,
पर अब ऐसा लगता है की जैसे कोई है ही नहीं जो शायद समझे की हम भी इंसान हैं,
कि शायद कोई समझे की हाँ हमसे भी गलतियाँ हो सकती हैं,
कि शायद कोई जाने की, की यहाँ भी एक दिल धड़कता है जो थम जाता है जब हमारी आँखों के सामने कोई दम तोड़ता है ,
आज कल लोगों को लगता है की हम बस पैसे लेने के लिए इतने टेस्ट करवाते हैं, जो दवाइयाँ जरूरी नहीं शायद वो भी देते हैं।
अगर हम इतने ही गलत हैं तो आके देखिए हमारी जगह एक दिन, फिर शायद आपको एहसास होगा की क्या कुछ लगता है यहाँ खड़ा होना।
अब तो बस रुकने, थमने को दिल कहता है, पर शायद मेरी अंदर की इंसानियत अभी ज़िंदा है और तब तक रहेगी जब तक मेरी धड़कन चल रही है ।
ये दुनिया बहुत बुरी है, पापा ने एक बार बोल था और अब मैं ये एहसास कर रही हूँ।
कभी कभी लगता है की गलत राह चुन ली शायद मैंने , लेकिन नहीं फिर अंदर से दिल कहता है और हाँ मैं जानती हूँ की आपको नहीं तो उस ऊपर वाले को शायद विश्वाश था, है, और रहेगा और इसलिए हम डटे रहेंगे।
आपने थालियाँ तो बजाई, लेकिन क्या आपने कभी वो एहसास समझा,
आपने हमारे ऊपर पत्थर भी फेके लेकिन हम तब भी सभ सहते रहे ,
क्या हमने इतनी मेहनत इसी लिए की थी ,
क्या यही वो दिन था, जिस दिन के लिए हम इतनी मेहनत करके इस जगह आए |
18 साल की थी मैं जब मेरे पापा मुझे छोड़के जा चुके थे ,
तब ही मैंने जान लिया था आज के बाद किसी के परिवार में ऐसा दुख ना आने दूँ ये पूरी कोशिश रहेगी मेरी ,
वहाँ मेरे दोस्त घूमते, पार्टी करते पर यहाँ मैं हमेशा पड़ती रहती थी |
उस दर्द से ऊपर आने की लाख कोशिश करी थी मैंने, पर शायद आज तक उनकी कमी सताती है मुझे |
शायद उनके और अपने घाव भरने के लिए मैंने ये राह चुनी थी,
पर अब ऐसा लगता है की जैसे कोई है ही नहीं जो शायद समझे की हम भी इंसान हैं,
कि शायद कोई समझे की हाँ हमसे भी गलतियाँ हो सकती हैं,
कि शायद कोई जाने की, की यहाँ भी एक दिल धड़कता है जो थम जाता है जब हमारी आँखों के सामने कोई दम तोड़ता है ,
आज कल लोगों को लगता है की हम बस पैसे लेने के लिए इतने टेस्ट करवाते हैं, जो दवाइयाँ जरूरी नहीं शायद वो भी देते हैं।
अगर हम इतने ही गलत हैं तो आके देखिए हमारी जगह एक दिन, फिर शायद आपको एहसास होगा की क्या कुछ लगता है यहाँ खड़ा होना।
अब तो बस रुकने, थमने को दिल कहता है, पर शायद मेरी अंदर की इंसानियत अभी ज़िंदा है और तब तक रहेगी जब तक मेरी धड़कन चल रही है ।
ये दुनिया बहुत बुरी है, पापा ने एक बार बोल था और अब मैं ये एहसास कर रही हूँ।
कभी कभी लगता है की गलत राह चुन ली शायद मैंने , लेकिन नहीं फिर अंदर से दिल कहता है और हाँ मैं जानती हूँ की आपको नहीं तो उस ऊपर वाले को शायद विश्वाश था, है, और रहेगा और इसलिए हम डटे रहेंगे।
By Sejal Jain
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