By Shalini Sharma
एक ऐसा कदम
जिसे उठाऊं मैं
फिर तुम
फिर दोस्त
फिर परिवार
फिर पड़ोसी
फिर गांव
और फिर पूरा समाज
एक ऐसा कदम
जो बदल देगा संसार
खुशहाल बना देगा पूरा समाज
फिर इस विस्तार से भय क्यों ?
सुना नहीं क्या?
विस्तार ही जीवन है और संकोच मृत्यु
तो फिर क्यों न मैं ही
हरियाली फैला दे
जो धरा पर
वह पहली बूंद बनूँ।
By Shalini Sharma
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