By Ruta Joshi
इश्क़ अब सिर्फ़ कहानियों में बसता हैं
प्यार छलावा तो कुछ और ही होता हैं ।
आशिक़ों की तलाश में चला
तो इन गलियों से बदनाम निकला
रंगीन इस शहर में ख़ुद बेरंग हो गया।
रूह का सौदा कर ,रूप सस्ता हैं ख़रीदा ,
दिल को कभी टूटा शीशा
या चूर करे वो पत्थर बना दिया!
बिखरे इन टुकड़ों को समेटने जैसे आये तुम
नाजायज़ चाहत को पाक कर गये तुम
वफ़ा की पहचान देकर इश्क़ का मज़हब समझा गये तुम
बेनफ़्स वक्त बाँटकर सुकून ही लाए तुम
तन नहीं इस बार मन को छू कर तुम
मोहब्बत को कहनियों से रिहा कर दिये तुम ।
By Ruta Joshi
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