By Kavita Batra
देख ना , आज इतवार आगया फिर से ,
आज मोहल्ले में भीड़ होगी फिर से ,
पड़ोस के भी , घर पर ही होंगे फिर से ।
देख ना , मौसम बेईमानी पे उतर आया है फिर से ,
बादलों ने सूरज को ओढ़ लिया है फिर से ,
आ रही है सौंधी खुशबू चाय की , तेरी छत से ,
हल्की आवाज़ हमारे पसन्दीदा गाने की भी आ रही है ,
क्या, तुमने मुझे , याद कर लिया फिर से ।
By Kavita Batra
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