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इंतज़ार

Updated: Oct 4

By Ramasray Prasad Baranwal



बजृ ेश की समझ मेंकुछ नही आ रहा था कि अब वह क्या करेऔर कैसेअपनी बात अपनेपरिवार वालों

को समझाए. कहां वह जहां सामान्य परिवार से था वहीं सनंदा ु उसकी बजाय अधिक शिक्षित और

सम्पन्न परिवार सेथी. उसके मन मेसदैव यह विचार आता कि कैसेवह उसकी जिम्मेदारी उठा

सकेगा और कैसेवह अपनेऔर सनंदा ु के जीवन को बेहतर बना सकेगा.

सबसेबड़ी बात यह थी कि उसका खदु का जीवन परेशानियों सेभरा था , कभी उसनेसोचा भी नहीं

था कि उसके जीवन मेंइतना बड़ा अवसर भी आ सकता हैक्योंकि उसके पर्वू र्वप्रथम विवाह और तलाक

की स्थिति पदा ै हो चकु ी थी,जिसके उपरांत उसका पनु र्विवाह र्वि का विचार कभी जेहन मेंआनेका कोई

मतलब ही नहीं था. लेकिन आज सनंदा ु नेउसके सम्मखु विवाह का प्रस्ताव रख कर उसेपरूी तरह

चौंका दिया था.

वह अपनेघर मेंलेटा हुआ अपनेपहलेविवाह के बारेमेंसोच सोचकर उलझता जा रहा था कि उसेक्या

करना चाहिए. मनष्ुय एक बार असफल होनेके बाद आगेबढ़नेके पहलेदस बार सोचता हैकि उसे

क्या करना चाहिए और क्या नहीं. ऐसी स्थिति मेंबजृ ेश के मन मेंभी यहींप्रश्न बार बार उठ रहा था कि

उसेकरना क्या चाहिए ? उसनेअपनेमन की आशंका सनंदा ु के सामनेभी रखी थी लेकिन सनंदा ु

उसकी बात माननेको बिलकुल तयार ै नहीं थी, उसनेस्पष्ट शब्दों मेंअपना निर्णयर्ण सना ु दिया था, की

उसेइन बातों सेकोई फर्क नहींपड़ता.

उसनेअपनी ओर सेकभी सनंदा ु सेकोई ऐसी बात नहीं की जिससेउसेलगेकि वह उसके प्रति

आकर्षितर्षि है. दरअसल उसनेशीला सेतलाक लेनेके बाद किसी और लड़की मेंकभी कोई दिलचस्पी न

लेनेका फैसला कर लिया था और वह इस पर परूी तरह कायम था, लेकिन इसका वह क्या करेजब

सनंदा ु पहली बार उसके ऑफिस मेंआई तो उसके बॉस नेउसेकाम सिखानेकी जिम्मेदारी बजृ ेश को

सौंप दी,उसनेएक बार बॉस को मना भी कर दिया,लेकिन बॉस के दबारा ु आग्रह करनेपर वह उनकी

बात नहींटाल सका था.

सनंदा ु स्वभाव की बहुत ही मिलनसार और बहुत अच्छेव्यक्तित्व की स्वामिनी थी, शरूु शरूु मेंवह

सिर्फ अपनेकाम की बात करता और सिर्फ काम के प्रति समर्पितर्पि उसके व्यक्तित्व मेंसनंदा ु नेन जानें

ऐसा क्या देखा की वह उसके प्रति आकर्षितर्षि होती चली गई, लेकिन वह इन बातों पर बिलकुल ही ध्यान

नहीं देता ,कई बार सनंदा ु नेउससेचाय पीनेका आग्रह किया लेकिन उसनेकभी भी उसके साथ काम

के अलावा किसी और तरह की बात करनेकी कोशिश नहींकी.

उस दिन ऑफिस मेंकम्पनी की वार्षिकर्षि वार्षिकर्षि रिपोर्ट तयार ै करनी थी जिसके चलतेऑफिस मेंदेर

तक बठना ै पड़ा ,रात करीब 11 बजेकाम खतम करनेके बाद वेसभी आफिस सेनिकलनेलगेतो

सनंदा ु नेकहा कि वह उसेअपनी गाड़ी सेछोड़ देगी , उसके लाख अनरोधु करनेके बाद भी बजृ ेश

उसके साथ नहीं गया ,तो वह थोड़ी सी नाराज होकर चली गई. अगलेदिन ऑफिस पहुंचकर सनंदा ु ने

अपनेबॉस सेउसके बारेमेंसारी जानकारी ली तब उसकी समझ मेंआया कि बजृ ेश क्यों उससेबात

नहींकरना चाहता और क्यों किसी और लड़की या औरत सेसंबंध रखनेकी इच्छा नहींरखता.

उस दिन के बाद उसके मन मेंबजृ ेश के प्रति आकर्षणर्ष और भी बढ़ गया. वह एक पढ़ी लिखी और

आधनिु क विचारों वाली लड़की थी, उसेइस तरह की बातों सेकोई फर्क नही पड़ता था लेकिन बजृ ेश को

इन बातों को लेकर काफी चितिं त रहता था कि उसके जीवन मेंपहली पत्नी की यादेंजेहन सेनहींउतार

पा रहा था.

उसके मन मस्तिष्क पर उसके ख्यालातों मेंशीला का व्यवहार और उसके साथ बिताए गए समय को

नहीं भलू पा रहा था जबकि वेदोनों बहुत कम समय ही साथ रहेथे, उनका अलगाव हुए भी एक लंबा

अरसा गुजर गया था लेकिन फिर भी वह उसेभलनू ेकी स्थिति मेंनहींथा.

इसी प्रकार जीवन बीत रहा था, न जानेउसके व्यवहार मेंऐसा क्या आकर्षणर्ष दिखा की सनंदा ु उस पर

इतना भरोसा करनेलगी और एक दिन तो उसके घर का पता कर उसके घर ही पहुंच गई. उसके


परिवार वालों सेमिलकर उसनेअपनेमन ही मन मेंएक निर्णयर्ण लिया और अगलेदिन सबहु सबहु

ऑफिस पहुंचकर उसनेपछा ू की क्या वह उसके साथ शाम को कॉफी पीनेचलेगा . न चाहतेहुए भी

बजृ ेश के मंहु सेनिकल गया हां. और उस दिन के बाद यह लगभग रोज का क्रम बन गया कि कभी चाय

पीनेतो कभी चाट खानेतो कभी कुछ और खानेपीनेके बहानेदोनो मिलनेलगे. इस बीच सनंदा ु ने

अपनेस्तर सेपता किया तो उसेमालमू हुआ कि बजृ ेश और शीला का संबंध विच्छेद के लिए शीला ही

दोषी थी, वह शादी के बाद परिवार सेअलग रहनेका दबाव डाल रही थी, परंतुबजृ ेश इस बात के लिए

तयार ै नहीं था, नतीजन वह नाराज होकर मायके चली गई और फिर लौटकर वापस नहींआई अततः ं

उसनेतलाक लेकर अपनेबचपन के व्बाय फ्रेंड सेशादी कर ली.

जब बजृ ेश को यह पता चला तो वह बहुत दःखी ु हुआ और उसनेमन ही मन तय किया कि वह फिर

कभी शादी नहीं करेगा, उसके घर वालेबहुत परेशान थेकि उसकी बाकी जिदंगी कैसेकटेगी. अभी उम्र

ही कितनी थी उसकी,लेकिन वह तो शादी केनाम सेचिढ़नेलगा था. उसकी जसी ै मानसिक स्थिति थी

उसमेकोई बात करना बहुत कठिन था लेकिन सनंदा ु की विचारधारा थोड़ी अलग थी, सम्भवतः इसी

कारण वह उसके करीब आता गया , और वेदोनो कब एक दसर ू ेके करीब आ गए उन्हेंइस बात का

आभाष तक नहींहुआ .

एक दिन सनंदा ु ऑफिस नहीं आई और न ही कोई सचना ू मिली की वह ऑफिस क्यों नहींआई , न तो

उसका मोबाईल कम कर रहा था .उस दिन बजृ ेश का मन ऑफिस मेंबिलकुल नहीं लगा उसेदिन भर

लगता रहा जसै ेउसका कुछ खो गया है, शाम होतेहोतेउसेसनंदा ु के साथ चाय पीनेकी इच्छा हो रही

थी परंतुवह तो ऑफिस मेंथी नहीं और उसका मन बेचनै हो उठा. फिर उसनेघर पर फोन कर बता

दिया की आज वह घर पर थोड़ी देर मेंजायेगा और उसके कदम अपनेआप सनंदा ु की घर की ओर चल

पड़,े वहां जाकर उसनेदेखा की सनंदा ु ठीक थी, उसको आया देखकर वह सखद ु आश्चर्य सेभर गई,

उसनेघर के लोगों सेउसका परिचय करवाया, यहीं तो वह चाहती थी, बजृ ेश बहुत सहमा सहमा सा

था,परंतुसनंदा ु बहुत खशु थी.

उसकी खशी ु उसके चेहरेऔर बातों सेसाफ झलक रही थी.

परंतुबजृ ेश नेसिर्फ इतना ही कहा की वह ऑफिस क्यों नहीं आई और फोन भी बन्द था,उसकी बात

सनकर ु सनंदा ु नेकहा ,अगर आज ऑफिस आती और फोन भी चालूरहता तो जनाब का हालेदिल कैसे

जान पाती. उसकी बात सनकर ु वह बोला कुछ नहीं बस झेंप गया, उसके परिवार वालों का व्यवहार

बहुत अच्छा था जबकि बजृ ेश खाम खाह ही डर रहा था. सनंदा ु के घर वालों नेउसेबिना खाना खाए

जानेही नहींदिया और वह सोच रहा था कि कल एक बार वह सनंदा ु सेखलकर ु बात करेगा.

अगलेदिन ऑफिस के बाद शाम को दोनो चाय पीनेनिकलेतो उसनेसनंदा ु सेपछू ही लिया की क्या वे

दोनों शादी कर सकतेहैंतो सनंदा ु बोली नहींहुजरू बस वसै ेही मौज मस्ती करनी है, उसकी बात पर वह

झेंप गया और सिर्फ यहीं बोल पाया की वह उसेतलाक तो नहींदेगी .उसके इस बात पर सनंदा ु नेकहा

हां क्यों नहीं अगर उसनेशादी के बाद किसी भी लड़की की ओर देखा तो समझिए की मैंगई, उसकी

बात सनकर ु उसनेपहली बार बड़ेप्यार सेउसकी ओर देखा और आखं मार दी. दोनो नेकसकर एक

दसर ू ेका हाथ थाम लिया। बजृ ेश के मंहु सेबस इतना ही निकला ईश्वर जो भी करता है, अच्छेके लिए

ही करता है.

उसकी बात का मतलब समझतेहुए भी सनंदा ु नेकहा क्या मतलब. बजृ ेश बोला की अगर उसकी पहली

पत्नी सेतलाक न होता तो उसेइतनी अच्छी दोस्त कहांसेमिलती, उसकी बात सनकर ु दोनो मस्ुकरा

उठे. सनंदा ु बोली इंतजार का फल हमेशा मीठा ही होता है.दोनो नेमस्ुकराकर एक दसर ू ेको देखा और

कसकर एक दसर ू ेका हाथ थाम लिया.


By Ramasray Prasad Baranwal






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