By Prathamesh Prakash Jadhav
आज फिर उसकी यादोंकी सफर कर आता हूं,
हकीकत में ना सही ख्वाबों में देख आता हूं।
एक एक दिन जिंदगी से कम होता चला गया,
हर पल उसके इंतज़ार में कटता चला गया।
उसे लगता है मैं उसे एक दिन भूल जाऊंगा,
उसकी ये बात भी मरनेके बाद सच कर जाऊंगा।
By Prathamesh Prakash Jadhav
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