By Vanshika Rastogi
तुम्हे शायद इतना याद कभी न किया होगा,
जितना मैंने इस एक दिन में किया है।
तेरी कमी खलेगी इस दिल को,
मगर एक आस भी होगी, तुझसे फिर मिलने की।
जो भूलने लगो मुझे, तो याद बनाकर,
संदूक में रख देना, क्या पता कभी गलती से याद कर लो।
तुझे सब कुछ से, अब बस कुछ ही बताएंगे,
सब कुछ का समय नहीं होगा न।
अब रोज़ तेरी राह देखना बंद कर देंगे,
आँखों का क्या है, आँसूओं से धुंधला जाती है।
खुद थोड़ा और इंतज़ार कर लेंगे,
तेरा मुझसे बात करने का।
बस कभी हम वो वजह बन ही नहीं पाए,
जिसे यह कविता लिखने की ज़रुरत ही न पड़ी हो।
By Vanshika Rastogi
Wow
Ahh !! These lines.....
वाह!!👏🤍
Intazaar ki sandook 💯
Wow... lovely poem