By Vartika Sharma Lekhak
१.
आज मुक़ाबला हो
कौन बड़ा अंतर्यामी ?
तू
जो क़ुतुबमीनार की बांग से
शंखों से नगाड़ो से
झकझोरा जाता है !!!
या फिर मै
जो अपने बच्चे की
ज़रा सी करवट से
बेचैन हो उठ पड़ती हूँ।
२ .
आज मुक़ाबला हो
किसे मोक्ष है?
तू
जो हज़ार ताले
हज़ार दीवारों में
मदारी की पहरेदारी
ऊँची ऊँची किवाड़ों में
तिहाड़ बन गया है
या फिर मै
जो आँख की किरकिरी
जैसे अछूत चांडाली
बांधे नहीं बंधती
शिव की जटाओं को भी
उछाड़ देती हूँ ।
३.
आज मुक़ाबला हो
कौन बड़ा सन्यासी
तू
जिसके दर्शन को
VIP कतार
तहखानों की गुप्त द्वार
101 , 501 , 1001
जाने कितने बिज़नेस कार्ड्स !!!
या फिर मै
जिसका ना कोई घर
ना अपना नाम
फिर भी अपने कान्हा के पीछे
मीरा बन बैठी हूँ ।
४.
आज मुक़ाबला हो
किसकी शक्तियां ब्रह्मास्त्र
तू
जिसे छूते ही
धरती शुभ मंगल
अहिल्या जीवित
और मरू में गंगा फूट पड़ती है !!!
या फिर मै
जिसकी परछाई भी
वृन्दावन को बंजर
मदिर को मसान
और तुझ तक को
मैला कर देती है ।
५.
आज मुक़ाबला हो
कौन आदि अनंत है
तू
जो गर्भ-गृह में
पत्थर बन समाया है !!!
या फिर मै
जिसके अंदर
गर्भ भी
गृह भी
और तू भी
समाया है ।
By Vartika Sharma Lekhak
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