By Nikhil Tandon
"वो थोड़ी शर्मीली सी है
तो थोड़ी शरारती सी भी,
थोड़ी मिश्री सी मीठी है
तो थोड़ी मिर्ची सी तीखी भी,
उसमें अदाएं भी हैं
तो थोड़ी अकड़ सी भी,
वो कभी गुलाब सी है
तो कभी काँटों सी भी,
थोड़ी नाज़ुक सी है
तो थोड़ी निष्ठुर सी भी,
बारिश की बूंदों सी है
तो सर्दी की शबनम सी भी,
वो संगीत में ग़ज़ल सी है
तो सुरों का मधुर आलाप सी भी,
खिले फ़ूलो की महक सी है
तो मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू सी भी,
समंदर की उथल–पुथल सी है
तो झील की तरह शांत सी भी,
उजली सुबह का सुकून सी है
तो ढलती सांझ की राहत सी भी,
मेरी ज़िंदगी की हक़ीक़त भी है
तो एक ख़ूबसूरत ख़्वाब सी भी"
By Nikhil Tandon
Awesome
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Superb quality 👏👏
These lines hit hard deep down when you pay attention to every word.
Very good