By Hajira S Feroze
रात का समय था। बादल ऐसे गरज रहे थे जैसे किसी से चीख कर कुछ कहना चाहते हो... मौसम का हाल कुछ ऐसा था मानो सुबह होते ही किसी कि जिन्दंगी पूरी तरह उलट - पुलट हो जाएगी। अमर प्रेम रात का समय था। बादल ऐसे गरज रहे थे जैसे किसी से चीख कर कुछ कहना चाहते हो... मौसम का हाल कुछ ऐसा था मानो सुबह होते ही किसी कि जिन्दंगी पूरी तरह उलट - पुलट हो जाएगी। ब्रह्मांड के इन सभी संकेतों से रूही ज़रा भी नहीं खबराई...वो इन सारी बातों को नज़रंदाज़ करके अपनी ही दुनिया में खोई हुई थी। उसके लिए कल का दिन बहुत ही खास है... बाहर के तूफान से भी बड़ी तूफान तो उसके मन में है। लगता है कि पूरी कायनात मेरी दिल का हाल समझ पा रही है... मैं तो हमेशा से ही यूनिवर्स की सबसे खास हूँ...रूही ने धीमी आवाज़ में कहा। पता नहीं क्यों अजीब सी हलचल है...थोड़ी सी खबराहट...थोड़ी सी प्रत्याशा...सब सब महसूस हो रही है... लेकिन मुझे ऐसे थोड़ी न लगना चाहिए...मुझे तो बेहद खुशी महसूस होनी चाहिए थी...आखिर मैं पूरे सात महीने बात उससे मिलने जा रही हूँ...पूरे सात महीने! ये वक्त तो ऐसे गुज़रे जैसे सात महीने नहीं सात साल हो...लेकिन अब हमारा इंतजार खत्म हुआ... मैं अपने साहिल से कल मिलने जा रही हूँ... मिलते ही उससे एक ज़ोर की झप्पी दूंगी...और उससे साफ साफ कहदूंगी कि अब से जहां भी जाए मुझे भी साथ लेकर जाए...वैसे अब तो मेरे पूरा हक़ बनता है आखिर दस दिनों मे हमारी शादी है...फिर तो मैं हमेशा के लिए उनकी साथी हो जाऊंगी...रूही ने मन ही मन में मुस्कुराते हुए कहा... मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि हम शादी करने वाले हैं... इन दस सालों में हमने कई सारे उतार चढ़ाव देखे है लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी... और देखो हमारा प्यार अब दस दिनों में मुकम्मल होने जा रहा है...ये सब सोचते ही खुशी से मेरा मन झूम उठता है... रूही की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं था...और वो ऐसी ही बड़बड़ा रही थी कि अचानक से दरवाजे पे खटखटाने की आवाज़ सुनी... अरे मैं क्या इतनी जोर से बात कर रही थी कि मेरे घरवाले मेरी आवाज़ सुनकर उठ गए...और मुझे तो वक्त का पता ही नहीं चला देखते ही देखते तीन बज गए...अभी तो मुझे बहुत डांट पड़ेगी... कहेंगे कि सोई क्यों नहीं अब तक...ऐसे सोचते हुए वो बिस्तर से दरवाज़े की तरफ मुड़ी।
जैसे ही रूही ने दरवाज़ा खोला उसके सामने साहिल खड़ा हुआ है। रूही साहिल को उस वक्त अपने कमरे बाहर देखकर कुछ वक्त के लिए एक दम चुप हो गई और साहिल भी खामोश होकर कड़ा रहा। ऐसे लग रहा था कि दोनों एक दूसरे को देखकर बेहद खुश हैं और एक दूसरे से कई सारे बाते करना चाहते हैं। एक दूसरे की खामोशी ने ही सब कुछ बयान कर दिया था। तभी ज़ोर से बिजली गिरी और उस आवाज़ ने उन दोनों की इस महामिलन में रुकावट डाल दी। आप यहां... आप अंदर कैसे आए? आप मेरे घरवालों से मिले? मैने तो घंटी बजाने की आवाज़ भी नहीं सुनी....एक मिनट आप तो कल आनेवाले थे न? इतने जल्दी कैसे आ गए... रूही ने थोड़ी ऊंची आवाज़ में साहिल से पूछा... अरे पहले सांस तो ले लो... कितने सवाल पूछती हो तुम...मुझे जवाब देना का मौका भी नहीं दिया...मुझे क्या कमरे के बाहर ही कड़ा रखोगी अंदर नहीं बुलाओगी...साहिल ने धीमी आवाज़ में रूही से कहा। रूही ने लंबी सांस ली और साहिल को अपने कमरे के अंदर बुलाया और कुर्सी लाकर उसे बैठने को कहा और उसके लिए पानी भी लेकर आई। साहिल ने पानी पीकर ग्लास लौटाते और कमरे के बाहर एक खिड़की को दिखाते हुए कहा...मैं खिड़की से खुद के आया हूँ...वो खिड़की खुला हुआ था...ऐसे कैसे मैंने तो उसे बंद किया था...रूही ने याद करते हुए कहा। वो सब छोड़ो मैं इतने रात को तुमसे मिलने आया हूँ वो भी चुपके... पूरे सात महीने बाद हम मिल रहे हैं और तुम हो कि फ़िज़ूल बातें लेकर बैठ गई हो... साहिल ने कहा। रूही ने साहिल को जोर से गले लगाया और कहा इसी का तो कब से इंतजार कर रही थी... आखिर वो वक्त आ ही गई... हमारा मिलन हो ही गया...अब बस दस दिन दूर हैं उसके बाद आप हमेशा के लिए मेरे हो जाएंगे और मैं आपकी! मैं बहुत ज्यादा खुश हूँ कि आप मेरे साथ है। आपके बिना ये सात महीने कैसे गुज़रे ये सिर्फ मैं ही जानती हूं ...एक भी ऐसा पल नहीं होगा जब मैने आपको याद न किया हो...आपसे दूरी मुझे बर्दाश नहीं होती... और मैं कह देती हूँ अब से आप जहां भी जायेंगे मुझे अपने साथ लेकर जाएंगे। रूही की आंखों से आँसू बहने लगे। साहिल ने उन आँसु को अपने हाथों से संभाल लिया। ये बहुत कीमती है मेरे लिए इसे ऐसे बहने मत दो साहिल ने रूही को प्यार से कहा।
इन दस सालों में हम बिल्कुल भी नहीं बदले... मैं आज भी तुमसे उतना ही प्यार करता हूं जितना दस साल पहले करता था और मेरी जान तुम भी तो मुझसे बेहद प्यार करती हो...तो फिर ये आँसु क्यों है तुम्हारी आँखों में? ये सुनते ही रूही ने अपने आँसु पोंछ लिया और कहा अच्छा टिक है अब हम सिर्फ अच्छी बातें करेंगे...बुरे और कठिन वक्त तो जाए अब सिर्फ खुशी के पल ही लिखे हैं हमारी किस्मत में.... हमारी शादी के कितने अरमान हैं मेरे दस साल से इस पल का बेसब्री से इंतजार कर रही हूँ..कभी आपके घरवाले नहीं मान रहे थे और कभी मेरे घरवालों ने इस रिश्ते के लिए हामी नहीं भरी... फिर जब दोनों को हमने मिलकर मना लिया तो आपको अपने काम के सिलसिले में अचानक परदेस जाना पड़ा...अब जाके सब कुछ सही हुआ है...मैं इस पल को खुलके जीना चाहती हूं आपके साथ.. हमारी शादी के हर एक पल को हम मिलकर यादगार बनाएंगे। रूही ने साहिल के हाथ जोर से पकड़ते हुए कहा। आप को याद है न हम कितनी बातें करते ते हमारे शादी को लेकर...और अब जब हम शादी करने जा रहे हैं तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है। बस जल्दी से शादी करके मुझे आपके साथ आना है। हमारे यहां तो तैयारियां खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं और आपके वहां क्या हाल है? रूही ने बड़े ही उत्सुकता से पूछा ... मुझे क्या पता मैं तो सबसे पहले यहां तुमसे मिलने आया हूँ साहिल ने बेपरवाह हो कर कहा... तुम्हे हमारी पहली मुलाकात याद है? कैसे तुम पांचवी की क्लास ढूंढने में नाकामयाब रही और मैने तुम्हारी मदद की! साहिल ने हंसते हुए कहा हां तो मैं नई नई आई थी न आप तो वही स्कूल में थे! अब अगर कोई नई विद्यार्थी स्कूल में आए तो उसकी मदद करना तो आपका फ़र्ज़ है... रूही ने भी हंसते हुए कहा। तब आप सातवीं क्लास में ते...उसी दिन से हम कितने अच्छे दोस्त बन जाए ते। कब ये दोस्ती से शुरू हुई सफर प्यार में बदल गया पता ही नहीं चला! आप आज भी वैसे के वैसे ही है! तुम भी तो कहा बदली हो तुममें वहीं मासूमियत आज भी बरकरार है जो दस साल पहले था दोनों ने एक दूसरे के आँखों में डूबते हुए कहा।
अचानक से बिजली गिरी और उस आवाज़ से फिर इन दोनों की खामोशी में रुकावट आई। ऐसे लग रहा था कि कायनाथ उन्हें वक्त कि कमी का चेतावनी दे रही है। मुझे आपसे बहुत सारी बातें करनी है... रूही ने जैसे ही ये कहा तभी बिजली चली जाती है और कमरे में पूरा अंधेरा छा जाता है। रूही डर जाती है और साहिल का हाथ कस के पकड़ लेती हैं। तुम्हे आज भी अंधेरे से उतना ही डर लगता है न? तुम्हे इस डर को मिटाना होगा... साहिल ने थोड़े उदास सी आवाज़ में कहा। ऐसा क्यों आप होंगे न हमेशा मुझे जब भी डर लगेगा मैं ऐसे ही आपका हाथ कस के पकड़ लूंगी आप मुझे सम्भाल लेना! रूही ने कहा। अगर मैं न रहूं तो...तब क्या करोगी? साहिल ने थोड़ी गहरी आवाज़ में कहा। आप ऐसे बातें क्यों कर रहे हैं? आप मुझसे किसी बात को लेकर नाराज़ हैं? रूही ने डरकर पूछा। रूही मेरी बात तुम ध्यान से सुनो मेरे पास ज्यादा समय नहीं है मन कर रहा है यही बैठकर तुमसे ढेर सारी बातें करूं और इस पल को यही रोक रोक दूं लेकिन मैं मजबूर हूं। तुम अपना ध्यान रखना...खाना समय पर खाना... मैं न रहूं तो ख़ुद को सम्भाल लेना....रोना नहीं है मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ... तुम्हारे दिल में हूँ... ये याद रखना कि मैं तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूं और हमेशा करता रहूंगा...हम मिलेंगे... हमारा प्यार मुकम्मल होगा... मैं तुम्हारा वहां इंतज़ार करूंगा...तब तक अगर अंधेरे से डर लगे तो आसमान के चांद और तारों को देख लेना... तुम्हे डर नहीं लगेगा... साहिल ने बड़े ही उदास होकर कहा...आप ऐसी बातें कर क्यों रहे हैं? आप कहा जा रहे हैं? आप कहा पे इंतजार करने वाले हैं? मुझे भी अपने साथ ले जाइए...मुझे बहुत डर लगा रहा है...आप मुझे छोड़ कर कही मत जाइए। रूही जोर से रोने लगी। साहिल ने उसे चुप कराया और कहा काश ये पल यही थम जाए... काश वक्त की घड़ी यही पर रुख जाए ... लेकिन ऐसा नहीं हो सकता...हम ज़रूर मिलेंगे .... हमारा प्यार इस दुनिया के हकीकतों से कई परे है.... हमें कोई जुदा नहीं कर सकता.... हमारा प्यार अमर है... मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा मेरी जान। रूही ज़ोर ज़ोर से रोने लगी और साहिल का हाथ ज़ोर से पकड़ लिया और पूछा लेकिन आप जा कहा रहे है? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है... रुकिए मैं मोमबत्ती लेकर आती हूँ। अब समय नहीं है मुझे जाना होगा...याद रखना हमारा प्रेम अमर है और हमें कोई भी जुदा नहीं कर सकता! साहिल ने रूही से अपने हाथों को छुड़ाया तभी उसके शर्ट पर से एक बटन नीचे गिरा। वो रूही से दूर चलने लगा।
रूही अंधेरे में कुछ देख नहीं पा रही थी पर साहिल को उससे दूर जाते हुए वो महसूस कर पा रही थी... साहिल धीरे धीरे उसके कमरे से बाहर जा रहा था...वो ज़ोर से रोई और तभी बिजली गिरी और वो अचानक से ज़ोर ज़ोर से साहिल साहिल चिल्लाने लगी...तभी एक फोन कॉल ने उसे नींद से जगा दिया...वो उठी और लंबी सांस ली... ये एक सपना था! रूही की जान में जान आ गई। तभी रूही के माता पिता उसके कमरे के दरवाज़े खटखटाने लगे रूही ने आधी नींद में जाकर दरवाज़ा खोला और देखा कि उसके घरवाले रो रहे थे। रूही बेटा उसकी माँ ने उसे संभालते हुए कहा साहिल जिस जहाज़ से आ रहा था मौसम खराब होने के वजह से वो कही खो गया था कल रात...और वो जहाज़ क्रैश हो गई है और सभी की मौत हो गई है... यह सुनते ही रूही पूरी तरह से टूट गई। वो ज़ोर से रोने लगी और उससे खुद को संभाला नहीं जा रहा था और वो नीचे बैठ जाई। उसके हाथ जाकर उस बटन से टकराया जो कल साहिल के शर्ट पर से गिरा। रूही को वो सारी बातें याद आई जो कल हुआ था...वो सपना तो नहीं था! रूही ने अपने आँसु पोछे और कहा कि मेरा साहिल जिंदा है मेरे दिल में है...वो यही कही है मेरे आस पास है...मुझसे सुन प रहा है...मुझे देख प रहा है... मैं उसका कहा मानूंगी...वो मेरा इंतज़ार कर रहा है...इतने साल इंतज़ार किया अब थोड़ा और सही! हमारा प्यार मुकम्मल होगा... ज़रूर होगा... हमारा प्यार अमर है! ये कहते ही रूही बेहोश होकर नीचे जीरी। रूही कि जैसे ही आँखें खुली उसने देखा कि चारों तरफ हरियाली है। सामने साहिल खड़ा हुआ है और उसे अपने पास बुला रहा है वो दौड़ के साहिल के पास गई और उसे गले लगाया। दोनों हाथ पकड़कर जंगल के ओर चलने लगे!
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