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अगर झूट लिखूं

By Mudit Shukla


अगर झूट लिखूं तो तुझको अपना लिख दू,

अगर सच लिखूं तो खुद को तेरा।


अगर झूट लिखूं तो लिखूं तुझ संग हंसना,

अगर सच लिखूं तो लिखूं तुझ बिन रोना।

अगर झूट लिखूं तो लिखूं तेरी गोद मे सोना,

अगर सच लिखूं तो लिखूं नहीं चाहता कभी जगना।

अगर झूट लिखूं तो लिखूं तेरी निगाहों से बचना,

अगर सच लिखूं तो लिखूं तेरी आंखो को पढ़ना।

अगर झूट लिखूं तो लिखूं तुझमें बसना,

अगर सच लिखूं तो लिखूं ये है बस मेरा सपना।

अगर झूट लिखूं तो लिखूं हर दर्द सेहना,

अगर सच लिखूं तो लिखूं आंसुओ का बहना।

अगर झूट लिखूं तो लिखूं जो चाहूं कहना,

अगर सच लिखूं तो लिखूं बस यूंही तनहाई में रहना।


By Mudit Shukla

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